14 साल की बच्ची आरुषी और 45 साल के नौकर हेमराज के क़त्ल का राज आज तक नहीं खुल पाया है। दोनों के क़त्ल के जुर्म में कैद नूपुर और राजेश तलवार को कोई सबूत न होने की वजह से सी.बी.आई ने बरी कर दिया है। अब ये केस हाई-कोर्ट को दिया जाएगा –
इलाहबाद हाई-कोर्ट ने सुनाया अपना एक बड़ा फैसला और कर दिया है राजेश और नूपुर तलवार को बरी। सी.बी.आई इस केस की तह तक पहुँचने में हुई विफल। कैसे मिलेगा आरुषी और हेमराज को न्याय?
आरुषी के क़त्ल को 9 साल कुछ महीने बीत चुके हैं पर अभी तक सी.बी.आई पता नहीं लगा सकी है कि इसके पीछे किसका हाथ है। पूरा-पूरा शक राजेश और नूपुर तलवार पर होने के कारण उन्हें 28नवम्बर2013 में ग़ाज़ियाबाद की दसना जेल में बंद कर दिया गया था। अब कोई सबूत हाथ न लगने की वज़ह से इन्हें बरी करना पड़ा।
लेकिन आरुषी और हेमराज के न्याय का क्या? पहले आरुषी की मौत का जिम्मेदार हेमराज को समझा गया। लेकिन जब दो दिन बाद उसकी लाश छत से पायी गयी, तब पता चला कि इसके पीछे किसी और का हाथ है। इन क़त्ल के दौरान घर पर तलवार परिवार और नौकर हेमराज के अलावा कोई नहीं था तो शक राजेश और नूपुर तलवार पर गया।
क्या पुलिस को तलवार के दांत चिकित्सा के उपकरणों की जांच नहीं करनी चाहिए थी जिससे दावा किया गया था कि आरुषी का गला उनके उपकरण से ही काटा गया था। और जिस सफाई से काटा गया था वो सिर्फ़ एक डॉक्टर ही काट सकता है।
पर क्या अब पता चल पायेगा की इनकी मौत के पीछे किसका हाथ है ? क्या पता चल पायेगा की उस रात क्या हुआ था? लापता हुए हथियार भी खुद में एक रहस्य हैं।
अब इंतज़ार है तो आरुषी और हेमराज को न्याय मिलने का।
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