गीता की ये पाँच बाते आपको कामयाब बनाएगी। सही तरीका

BySahi Tarika

Dec 8, 2021 #आत्म मंथन करना चाहिए, #कर्म का फल, #कृष्ण अर्जुन गीता उपदेश, #कृष्ण के उपदेश, #क्रोध पर नियंत्रण, #गीता उपदेश कर्म, #गीता उपदेश कर्मों का फल, #गीता उपदेश पार्ट 2, #गीता उपदेश पार्ट 3, #गीता उपदेश महाभारत, #गीता के 18 अध्याय के नाम, #गीता के अनुसार जीवन की अवधारणा, #गीता के उपदेश, #गीता के उपदेश इन हिंदी, #गीता के श्लोक, #गीता सार इन हिंदी, #गीता से मैंने क्या सीखा?, #नजरिया से बदलाव, #प्रेम क्या है गीता के अनुसार?, #भगवत गीता इन हिंदी PDF, #भगवत गीता का ज्ञान हिंदी में, #भगवद गीता अध्याय 1 मराठी, #भगवद गीता अध्याय 15, #भगवद गीता अध्याय 2 pdf, #भगवद गीता अध्याय 6, #भगवद गीता अध्याय pdf, #भागवत गीता कितने रुपए की आती है?, #भागवत गीता क्या कहती है?, #मन को ऐसे करें नियंत्रित, #मन पर नियंत्रण आवश्यक, #महाभारत में गीता का उपदेश, #श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 1, #सफलता प्राप्त करें, #सोच से निर्माण

गीता की ये पाँच बाते आपको कामयाब बनाएगी

 गीता में जीवन की हर परेशानी का हल है. !और यह सही भी है. मन में कोई भी दुविधा हो, कोई भी सवाल हो या निर्णय ! लेने में किसी तरह का अंतर्द्वंद ही क्यों न हो, गीता के पास हर ! मुश्किल का हल है. बेशक यह ग्रंथ सालों पुराना हो, लेकिन आज के ! जीवन में भी किसी भी समस्या के समाधान और एक अच्छे और ! प्रभावशाली व्यक्तित्व के निर्माण में गीता की सीखों का सहारा लिया जाता है. पेश ! हैं गीता में कही गई ऐसी पांच बातें, जिन पर अमल करने से ! आपको मिलेगी हर क्षेत्र में जीत !

स्वयं का आकलन करते रहें 

गीता में कहा गया है कि हर व्यक्ति को स्वयं का आंकलन करना चाहिए. हमें खुद हमसे अच्छी तरह और कोई नहीं जानता. इसलिए अपनी कमियों और अच्छाईयों का आंकलन कर खुद में एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए.

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हमेशा क्रोध पर नियंत्रण करें 

गीता के अनुसार – ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाते हैं. जब तर्क नष्ट होते हैं तो व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है.’ तो आप समझ ही गए होंगे कि किस तरह आपका गुस्सा आपको और आपके जीवन को प्रभावित कर नुकसान पहुंचता है. इसलिए अगली बार जब भी आपको गुस्सा आए, खुद को शांत रखने का प्रयास करें.

मन पर नियंत्रण करें  और करने की कोशिश करते रहें 

गीता में अपने मन पर नियंत्रण को बहुत ही अहम माना गया है. अक्सर हमारे दुखों का कारण मन ही होता है. वह अनावश्यक और निरर्थक इच्छाओं को जन्म देता है, और जब वे इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती तो वह आपको विचलित करता है. इसी कारण जीवन में जिन लक्ष्यों को आप पाना चाहते हैं, जैसा व्यक्तित्व अपनाना चाहते हैं उससे दूर होते चले जाते हैं.

आत्म मंथन करते रहें 

गीता कहती है कि हर व्यक्ति को आत्म मंथन करना चाहिए. आत्म ज्ञान ही अहंकार को नष्ट कर सकता है. अहंकार अज्ञानता को बढ़ावा देता है. उत्कर्ष की ओर जाने के लिए‍ आत्म मंथन के साथ ही एक सही और सकारात्मक सोच का निर्माण करना भी जरूरी है. जैसा आप सोचेंगे, वैसा ही आप आचरण भी करेंगे. इसलिए खुद को आत्मविश्वास से भरा हुआ और सकारात्मक बनाने के लिए अपनी सोच को सही करें.

कर्म करिये फल की इच्छा के बगैर 

गीता में कहा गया है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे उसके अनुरूप ही ! फल की प्राप्ति होती है. इस बात को अगर वर्तमान संदर्भ में लें, तो ! छात्र पढ़ने से ज्यादा तो इस बात को सोच-सोच कर घबराते रहते हैं कि ! रिजल्ट कैसा आएगा. इसलिए जरूरी है कि वे अपने रिजल्ट की चिंता छोड़ कर पढ़ने पर ध्यान दें. जैसा फल वे करेंगे, परिणाम उसी के अनुरूप होगा. लेकिन अगर वे फल की इच्छा में कर्म ही नहीं कर पाएंगे, तो फल भी उनकी इच्छा के अनुरूप नहीं होगा।

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