घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने का सही तरीका
मनुष्य एक पारिवारिक प्राणी है | सुख, शांति और समृद्धि के लिए वह परिवार में रहकर इस समाज की मर्यादाओं का पालन करते हुए अपने जीवन चक्र को आगे बढ़ाता है | आज के समय में एक सामान्य परिवार में लगभग 5 से 6 सदस्य होते है | जिनमें एक मुखिया होता है जिसका सभी सम्मान करते है | एक मनुष्य पूरे दिन बाहर कुछ भी कर ले अंततः वह अपने घर आकर ही आराम पाता है | परिवार के सदस्यों में चाहे कितनी भी अनबन क्यों न हों फिर भी अपने परिवार से दूर रहना एक सामान्य व्यक्ति को पसंद नहीं है | एक खुशहाल परिवार के पीछे एक अच्छे मुखियां का सबसे अधिक योगदान रहता है |
सुख, शांति और समृद्धि लाने में वास्तु शास्त्र का भी अहम योगदान है
मकान को घर बनाने के लिए जरूरी है, परिवार में सुख-शांति का बना रहना। और ऐसा होने पर ही आपको सुकून मिलता है। यदि आप घर बनवाने जा रहे हैं, तो वास्तु के आधार पर ही नक्शे का चयन करें। अपने आर्किटेक्ट से साफ कह दें, कि आपको वास्तु के हिसाब से बना मकान ही चाहिए। हां यदि आप बना-बनाया मकान या फ्लैट खरीदने जा रहे हैं, तो वास्तु संबंधित निम्न बातों का ध्यान रख कर अपने लिए सुंदर मकान तलाश सकते हैं।
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आज हम आपको बताने जा रहे है की किस प्रकार आप अपने उसी भवन की नकारात्मकता व गंभीर वास्तु दोष को नियंत्रित कर सुखी हो सकते है जिस भवन में अभी तक आपका जीवन दुःख से भरा रहा | किसी भी भवन का छोटा से छोटा या बड़ा से बड़ा वास्तु दोष और भवन में व्याप्त नकारात्मक उर्जा किसी भी सुखी, समृद्ध व्यक्ति अथवा परिवार को क्षण भर में दुर्भाग्य से ग्रस्त कर सकती है, अच्छे खासे चलते हुए व्यापार, नौकरी आदि को पल भर में ठप्प कर सकती है | जीवन के दुःख, संघर्ष को समाप्त करने हेतु व भवन में व्याप्त नकारात्मक उर्जा का ऐसे सरल प्रभावशाली, कम खर्च और बिना तोड़ फोड़ का वास्तु उपाय जिनसे आपको प्राप्त होगा सुख, सौभाग्य, अप्राप्त लक्ष्मी और आप बन जायेंगे समृद्ध, प्रसिद्द |
नया साल हो या कोई त्योहार, अधिकांश बधाई संदेशों में आपके चाहने वाले आपके जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि की कामनाएं भेजते हैं। समृद्धि तो आपकी मेहनत पर निर्भर करती है, लेकिन सुख और शांति के लिए आप क्या कर सकते हैं। सुख और शांति के लिए जितना ज्यादा आपका व्यवहार मायने रखता है, उससे कहीं ज्यादा आपके घर का वास्तु।
आपके दुःख, कष्ट और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने वाला चमत्कारी उपाय
- मकान का मुख्य द्वार दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए। इसके लिए आप चुंबकीय कंपास लेकर जाएं। यदि आपके पास अन्य विकल्प नहीं हैं, तो द्वार के ठीक सामने बड़ा सा दर्पण लगाएं, ताकि नकारात्मक ऊर्जा द्वार से ही वापस लौट जाएं।
घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक या ऊँ की आकृति लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। - घर की पूर्वोत्तर दिशा में पानी का कलश रखें। इससे घर में समृद्धि आती है।
- सुख-समृद्धि व मन की प्रसन्नता के लिए बैठक कक्ष में फूलों का गुलदस्ता रखें। शयनकक्ष में खिड़की के पास भी गुलदस्ता रखना चाहिए।
- घर में कभी भी कंटीली झाडिय़ां या पौधे न रखें। इन्हें लगाने से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- उन पुष्प या पौधे को सजावट में न ले जिससे दूध झरता हो। शुभता की दृष्टि से ये अशुभ होते हैं।
- शयनकक्ष में झूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए। आलस्य के कारण ऐसा करने पर रोग व दरिद्रता आती है।
- घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भागती हैं।
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परिवार में लड़ाई-झगड़ों से बचने के लिए ड्रॉइंग रूम यानी बैठक में फूलों का गुलदस्ता लगाएं।
- रसोई घर में पूजा की अल्मारी या मंदिर नहीं रखना चाहिए।
- बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्टर या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते।
- घर में शौचालय के बगल में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
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घरमें घुसते ही शौचालय नहीं होना चाहिए।
- घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में अच्छा माना जाता है।
- रात में बुरे सपने आते हों तो जल से भरा तांबे का बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
- यदि गृहस्थ जीवन में समस्याएं हों तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाना चाहिए।
- यदि शत्रु पक्ष से पीडि़त हो तो पलंग के नीचे लोहे का दण्ड रखें।
- पवित्र स्थान या पूजा स्थल ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) में ही बनवाएं। इससे घर में खुशहाली आएगी।
- टी.वी. या अन्य अग्नि संबंधी उपकरण सदैव आग्नेय कोण में रखें।
- शयन कक्ष में नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करें। ऐसा करने से घर में क्लेश होता है।
- भवन के पूर्व दिशा में ऊंचे घने वृक्ष न लगाएं, अन्यथा भवन में सूर्य के प्रकाश का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है।
- बहुमंजिली इमारत है तो भूखंड पर पश्चिमी अथवा उत्तर दिशा की ओर अतिथि कक्ष का निर्माण उचित रहता है।
- कूलर या एयर-कंडीशनर को प्रायः घर के पश्चिमी-पूर्वी तथा उत्तरी भाग में खिड़की के बाहर तीन या चार फुट चौड़े परकोटे में रखें।
- डिश एंटीना को छत पर दक्षिण-पूर्व दिशा में यानी आग्नेय कोण में रखना चाहिए।
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टीवी एंटीना को भी आग्नेय कोण में ही रखें तथा टेलीविजन को कक्ष के आग्नेय कोण में रखें।
- भवन का आगे का भाग ऊंचा तथा पीछे का भाग नीचा होना चाहिए।
- घर में तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें और ! तुलसी का पौधा जमीन से कुछ ऊँचाई पर ही लगाना उचित है। तुलसी के पौधे पर कलावा व ! लाल चुन्नियाँ आदि नहीं बांधनी चाहिए। तुलसी का पौधा अपने आप में पूर्ण मन्दिर ! के समान माना जाता है, इसलिए इसका किसी भी प्रकार निरादर नहीं होना चाहिए।
- घरमें पीले फूलों वाले पौधे लगाना शुभ माना जाता है। बैडरूम ! में पौधे नहीं लगाने चाहिए, इसके स्थान पर आर्टिफिशल पौधे रख सकते हैं। गमलों की ! आकृति कभी भी नोंकदार नहीं होनी चाहिए। याद रखें कि गमलों में डाली ! जाने वाली मिट्टी शमशान, कब्रिस्तान या कूडेदान आदि से न लाई गई हो, ! अन्यथा काफी आर्थिक हानि हो सकती है। पौधे लगाते समय ! ध्यान रखें कि पौधे इस तरह से लगाये जायें जिसमें कोंपलें, पत्तिायाँ व फूल !जल्द ही निकलें। ऐसे पौधे अच्छे भाग्य के परिचायक होते हैं।
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घर में तेज खुश्बूदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए।साथ ही घर में चौडे पत्तो! वाले पौधे, बोनसाई व नीचे की तरफ झुकी बेलें नहीं लगानी चाहिए। पौधे लगाते समय ध्यान रखें कि पौधे !सही प्रकार बढें, सूखें नहीं और सूखने पर उन्हें तुरन्त बदल दें।
- घर में फलदार पौधे लगाना भी कभी-कभी हानिकारक !हो सकता है, क्योंकि जिस वर्ष फलदार पौधे पर फल कम लगें या न लगें, इस !वर्ष आपको नुकसान या परेशानी का सामना ज्यादा करना पडेगा।वास्तु शास्त्र में पेड-पौधों को बहुत !महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार मजबूत तने वाले या ऊँचे-ऊँचे पौधे उत्तर-पूर्व,! उत्तर व पूर्व दिशा में ही होने चाहिए। घर के आस-पास या घर के !अन्दर कैक्टस, कीकर, बेरी या अन्य कांटेदार पौधे व दूध ! वाले पौधे लगाने से घर के लोग तनावग्रस्त, चिडचिडे स्वभाव के हो ! जाते हैं और ऐसे पौधे स्त्रियों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं।
- घरमें सौहार्दपूर्ण वातावरण के दृष्टिकोण से सीढियों का विशेष ! महत्व है। किसी भी मकान/भवन/आवास में विषम संख्या में होनी चाहिए …घर के ! मुख्यद्वार के सामने सीढियाँ कभी न बनाएँ। सीढियाँ गिनती में 5,7,11,13,17… होनी चाहिए। सीढियों ! के नीचे बाथरूम, मन्दिर, शौचालय, रसोई या स्टोर ! रूम न बनायें, नहीं तो मानसिक संताप का सामना करना पड सकता है। सीढियाँ दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनवाएँ। अगर ऐसा सम्भव ! न हो, तो वास्तु के अनुसार क्लोकवाईस सीढियों का निर्माण ठीक माना गया है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए। जिसकी सभी चारों दीवारें ९० अंश का कोण बनाती हों। ऐसा प्लॉट वास्तु नियमानुसार उत्ताम श्रेणी का प्लॉट माना जाता है।
वास्तु के नियमों को ध्यान में रखकर काफी हद तक हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। भूखण्ड का चयन करते समय हमेशा ध्यान रखें कि भवन निर्माण के लिए चुना गया भूखण्ड बन्द गली व नुक्कड का न हो। ऐसे मकान में निवास करने वालों को सन्तान की चिन्ता और नौकरी, व्यापार में हानि, शारीरिक कष्ट आदि परेशानियों का सामना करना पड सकता है।
- मकान की छत पर घर के पुराने, बेकार या टूटे-फूटे समान को न रखें। घर की छत हमेशा साफ-सुथरी होनी चाहिए। शयनकक्ष में पलंगध्चारपाई की व्यवस्था ऐसी करें कि सोने वाले का सिर दक्षिण एवं पैर उत्तर दिशा की तरफ हों। शयनकक्ष में दर्पण ऐसे न लगा हो कि सोने वाला व्यक्ति का कोई भी अंग उसमें प्रतिबिंबित हो। घर में दर्पणों को लगाते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। दर्पण के लिए हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा को ही उत्ताम माना गया है। घर के भारी सामान जैसे अलमारी, सन्दूक, भारी वस्तुओं के लिए दक्षिण व पश्चिम दिशा का स्थान चयन करना चाहिए।
- उपरोक्त वास्तु ज्ञान से आपके घर में सुख, शांति व समृद्धि का वास होगा।वास्तु का अगाध विज्ञान परेशानियों का अचूक समाधान देता है। आइए, वास्तु शास्त्र का उपयोग कर जीवन को सकारात्मक दिशा दें।वास्तु की इन छोटी-छोटी बातों को याद रखकर सरलता से जीवन में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है और जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।
वास्तु के साथ साथ घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए व्यावहारिक उपाय
पारिवारिक सुख-शांति के उपाय :
एक परिवार में सुख -शांति बनाये रखने के लिए न केवल परिवार के ! मुखिया को बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरें की भावनाओं को समझना होगा | परिवार के सभी सदस्य ! आपस में अच्छा तालमेल बनाने का प्रयास करें | परिवार के सभी !सदस्यों को सामाजिक व्यवहार व नैतिक मूल्यों का ज्ञान होना !अनिवार्य है | अभद्र भाषा का प्रयोग बंद कर देना ! चाहिए | परिवार के बीच गंदे शब्द परिवार की सुख-शांति को प्रभावित करते है | परिवार की आर्थिक! स्थिति यदि ख़राब है तो इसे ठीक करने के यत्न करने चाहिए |
परिवार का कोई सदस्य यदि कोई नशा आदि करता है तो उसे सभी बैठकर समझाए और उसकी नशे की आदत को छुड़ाने के प्रयास करें |बच्चों को अच्छे संस्कार दे | प्रेम-सद्भावना-असहाय के प्रति दया भाव-मीठी वाणी- सत्य बोलना-बड़ों का आदर करना, अपने कर्तव्य का निष्ठापूर्वक पालन – देश के प्रति प्रेम ये सभी अच्छी आदते स्वयं अपनाये व अपने बच्चों को भी ऐसी शिक्षा दे | जब परिवार के सभी सदस्य सद्गगुणी बनेंगे तो परिवार में सुख-शांति आने से कोई नहीं रोक सकता
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